Garhwali Story Maa Ansuya Devi Real Story In Hindi

Garhwali Story Maa Ansuya Devi Real Story In Hindi

 मां अनुसूया देवी की एक सच्ची कहानी
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गढ़वाल के रुदप्रयाग जिले में एक नौजवान युवा था, बचपन में ही उसने अपने मा - पिता को खो दिया था। वह गांव वालों का कार्य करता तो गांव वाले उसे खाना खिलाते थे।
     धीरे धीरे वक्त गुरता चला गया और राजू(काल्पनिक नाम )  भी एक युवा नौजवान हो गया था, लेकिन उसके साथ के सभी युवाओं की शादी हो चुकी थी, लेकिन अभी भी राजू (काल्पनिक नाम ) की शादी नहीं हुई थी, गांव वालों ने पंचायत की और राजू की शादी करने का फैसला किया ।
     राजू की जैसे - तैसे शादी एक गूंगी लड़की से हुई । शादी को हुए 12 साल हो चुके थे, लेकिन अभी भी राजू की कोई संतान नहीं थी, गांव वालों ने कहा कि राजू तुम दूसरी शादी कर लो, लेकिन राजू नहीं माना... फिर राजू की पत्नी ने लिखकर कहा कि आप दूसरी शादी कर लीजिए मुझे उससे कोई एतराज नहीं है । काफी वक्त बाद राजू दूसरी शादी के लिए मान गया....
   राजू ने दूसरी शादी की, लेकिन उस शादी के बाद भी उसकी कोई संतान नहीं हुई, राजू के साथ अब उसकी दोनों पत्नियों ही बड़े परेशान रहने लगे थे।
      कुछ वर्ष पश्चात् किसी ने राजू की पत्नी से कहा की चमोली जिले के मंडल घाटी में एक पुत्रदायनी मां अनुसूया रहती हैं, आप वहां क्यों नहीं जाते संतान प्राप्ति का वर मांगने ......
 कुछ समय बाद दोनों पत्नियों ने अनुसूया जाने का फैसला लिया, वह दिसंबर माह में देवी के मंदिर जाने के लिए प्रस्थान करने लगी, उन्होंने रास्ते से देवी के लिए अपनी श्रद्धा भक्ति से मां की भेंट ली....
   रास्ता बहुत ही घने जंगल से भरा और बर्फ भरी पहाड़ी से जा रहा था। घने जंगल में पहाड़ी रास्ते पर चलते-चलते उन्हें अंधेरा हो चुका था, अब घने जंगल में उन्हें कहीं भी रास्ता नहीं दिख रहा था, उन्होंने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने की सोची। रात में जब वह निंद्रा में थे - दोनों के स्वपन में माता आई गूंगी महिला को माँ ने पुत्र को जन्म देना का वर दिया और साथ में दूसरी महिला को बच्चे को स्तन पान कराने का वर दिया । और माँ ने स्वपन में कहा जो भी तुम मेरे लिए भेंट ले कर आईं हो उसे मण्डल गांव के अमुख व्यक्ति को प्रदान कर देना,वह आप के द्वारा लाई गई भेट मेरे दरबार में दे जायेगा और संतान प्राप्ति की 1 वर्ष बाद आपको फिर मेरे द्वार आना होगा । दोनों स्त्रियां खुश होकर अपने घर वापस लौट आई,
    कुछ वर्ष बाद उनका एक पुत्र हुआ... पहली गूंगी स्त्री का पुत्र हुआ, लेकिन उसके स्तन में दूध नहीं हुआ, लेकिन दूसरी स्त्री का पुत्र नहीं हुआ लेकिन उसके स्तन दुग्ध से भरे, फिर उन्हें माँ के स्वपन में दिए गए वचन की याद आई और उन्होंने अपने स्वप्नन को एक दूसरे से साझा किया। मां के दिये वचन के अनुसार ही उनके साथ ऐसा हुआ.

अगले 2 वर्ष बाद राजू और उसकी दोनों पत्नी व पुत्र मां के मंदिर में दर्शन के लिए गए। अब पुत्र प्राप्ति के बाद अब
अब घर में खुशहाली आ गई थी और वे बहुत ही सुखी थे।


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