Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re by Jubin Nautiyal ईजा अबके ना आऊंगा पहाड़ रे

Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re  by Jubin Nautiyal ईजा अबके ना आऊंगा पहाड़ रे 

...............................................................
Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re - A poignant song by Jubin Nautiyal lyrics
 * Jubin Nautiyal - Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re | Heartfelt Pahari Voice
 * Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re: Listen to Jubin Nautiyal's new song
 * Jubin Nautiyal's 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re' - Full song here
 * Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re Lyrics - Jubin Nautiyal
 * The deep meaning of Jubin Nautiyal's 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re'
 * Why does 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re' touch every Pahari's heart?
 * 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re' in Jubin Nautiyal's voice - A review
 * 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re' Jubin Nautiyal: Pahari culture and separation
 * Jubin Nautiyal's new song: 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re' is a must-listen
 * Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re (Eeja) - Jubin Nautiyal | Official Video?
 * What's special about Jubin Nautiyal's 'Eeja' song? Find out
 * 'Abke Na Aaunga Pahad Re' - This song by Jubin Nautiyal will make you cry
 * Pahari folk music and Jubin Nautiyal's magic - 'Eeja'
 * Download Jubin Nautiyal's 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re'
 * 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re' - Your reaction to Jubin Nautiyal's song?
 * Jubin Nautiyal: The story behind 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re'
 * Why is Jubin Nautiyal's song 'Eeja' going viral?
 * If you are Pahari, you will surely love Jubin Nautiyal's 'Eeja'
 * Jubin Nautiyal's 'Eeja Abke Na Aaunga Pahad Re' - An emotional journey
..............................................................
Song Name : Eeja 
Singer : Jubin Nautiyal
Lyrics : Neelesh Misra
Music Label : Slow Music

.............................................................





...............................................................
STAP-1

ईजा.....अबके ना आऊंगा पहाड़ रे  
अबके ना आऊंगा पहाड़.......
ईजा.....अबके ना आऊंगा पहाड़ रे....
अबके ना आऊंगा पहाड़....

दूध से मलाई छूटी,ऊन से सालाई छूटी
तेरा भी बवाला छूटा...मेरी परछाई छूटी..
दिया किसने सब बिगाड़ रे....
अबके ना आऊंगा पहाड़ रे  
ईजा.....अबके ना आऊंगा पहाड़ रे  
अबके ना आऊंगा पहाड़...

STAP-2
गदेरों में खेले जहाँ,गीत हरेले जहाँ
बसट पहन के गए,दशेरे के मेले जहाँ
घास पे बिछा के चादर,नींबू साणे बैठते....
दफ़न वो पेड़ नीचे,लाखों के फ्लैट के
कैसी बदनसीबी मेरी,जान है निकल गई
तेरी ये JCB बुरास को कुचल गई
रह गया जीवन उजाड़ रे....
अबके ना आऊंगा पहाड़....
ईजा.....अबके ना आऊंगा पहाड़ रे  
अबके ना आऊंगा पहाड़....

STAP-3
 एपण लगाते हुए, हाथ जो फिसल गया
 सोचाना कि पीछे से मैं, फिर छसका के गया
 पहन के पिछवाड़ा जब वो, थोड़ा शर्माएगी 
घुघति जो गाये बातें, मेरी ही सुनाएगी
बैण की जो आएगी बारात मैं ना होऊंगा 
 पेपर में मेरी खबर दो दिन बाद आएगी
 घर पर मेरा नाम देना पहाड़ रे......
अबके ना आऊंगा पहाड़....

STAP-4
 देख मेरे पर्वत, नदी में पिघल गए
 लंबी लंबी कार वाले, पेड़ों को निगल गए 
 ईजा तेरी बात नंदा देवी से जो होवेगी
 उसे ना बताना वो ये देखकर के रोवेगी 
 सब ने पहाड़ की खाई है झूठी कसमें 
 इनको नंदा देवी, किसी ताल में डूबोवेगी 
 गिद्ध कर गए चीर फाड़ रे......
ईजा.....अबके ना आऊंगा पहाड़ रे  
अबके ना आऊंगा पहाड़....

हिंदी अर्थ 
एक प्रवासी पहाड़ी व्यक्ति की मार्मिक अभिव्यक्ति है जो अब कभी अपने गाँव वापस नहीं लौट पाएगा। वह अपनी माँ ("ईजा") को संबोधित करते हुए अपनी इस विवशता और पहाड़ के बदलते स्वरूप पर गहरा दुख व्यक्त करता है।
पहले भाग में, वह कहता है कि अब उसका पहाड़ आना संभव नहीं है। उसे लगता है जैसे दूध से मलाई और ऊन से सलाई छूट गई हो, मानो उसके जीवन से सार और जुड़ाव खत्म हो गया हो। उसे यह भी महसूस होता है कि उसका और उसकी माँ का साथ छूट गया है और उसकी अपनी पहचान भी कहीं खो गई है। वह पूछता है कि किसने सब कुछ बिगाड़ दिया।
दूसरे भाग में, वह अपने बचपन के पहाड़ के सुंदर दृश्यों और स्मृतियों को याद करता है - गदेरों में खेलना, हरेले के गीत गाना, दशहरे के मेले में जाना, घास पर बैठकर नींबू साणना। इन प्यारी यादों के विपरीत, वह अब देखता है कि विकास के नाम पर पेड़ों को काटकर लाखों के फ्लैट बन रहे हैं। उसे अपनी किस्मत पर दुख होता है कि उसकी जान निकल रही है और जेसीबी उसके प्रिय बुरांस के फूल को कुचल रही है, जिससे उसका जीवन उजाड़ हो गया है।
तीसरे भाग में, वह अपनी व्यक्तिगत स्मृतियों को साझा करता है, जैसे कि ऐपण लगाते समय उसका फिसल जाना और उसकी शरारतें। वह अपनी बहन की शादी में शामिल न हो पाने के दुख को व्यक्त करता है और कहता है कि उसकी खबर शायद दो दिन बाद अखबार में आएगी। वह अपनी माँ से अनुरोध करता है कि घर पर उसका नाम दें, शायद उसकी यादों को जीवित रखने के लिए।
चौथे और अंतिम भाग में, वह पहाड़ के बदलते स्वरूप पर गहरा क्षोभ व्यक्त करता है। वह देखता है कि उसके पर्वत पिघल रहे हैं (शायद विकास के कारण प्राकृतिक सुंदरता नष्ट हो रही है) और लंबी-लंबी कारों वाले पेड़ों को निगल रहे हैं। वह अपनी माँ से कहता है कि वह नंदा देवी को यह सब न बताए, क्योंकि वह यह देखकर रो पड़ेगी। उसे लगता है कि पहाड़ की झूठी कसमें खाने वालों को नंदा देवी किसी ताल में डुबो देगी। अंत में, वह दुखद रूप से कहता है कि गिद्धों ने पहाड़ को चीर फाड़ दिया है, जो शायद प्राकृतिक संसाधनों के शोषण और विनाश का प्रतीक है।
कुल मिलाकर, यह कविता एक प्रवासी पहाड़ी व्यक्ति के अपने घर और बचपन की यादों के प्रति गहरे लगाव और विकास के नाम पर हो रहे विनाश से उत्पन्न दुख और निराशा को व्यक्त करती है। यह प्रकृति और मानवीय मूल्यों के क्षरण पर एक मार्मिक टिप्पणी है।
..............................................................

 * ईजा: माँ
 * बौठाला/बवाला: घर
 * गधेरे: एक छोटी जलधारा, छोटी सी नदी
 * हरेला: पहाड़ों में हरियाली का त्योहार
 * नींबू साणे: पहाड़ी नींबुओं को पारंपरिक तरीके से काटना
 * बुरांश: एक पहाड़ी पेड़ जिसमें लाल फूल होते हैं और कई औषधीय उपयोग हैं
 * ऐपण: रंगोली की तरह एक पहाड़ी परंपरा
 * पिछोड़ा: एक दुल्हन की शादी की पोशाक
 * घुघुती: एक पहाड़ी भूरे रंग की चिड़िया( कबूतर की तरह )
 * बेणी: बहन
 * पाड़: दीवार पर अपना नाम खरोंचना/लिखना


STAP-1
Eeja... abke na aaunga pahad re
Abke na aaunga pahad...
Eeja... abke na aaunga pahad re
Abke na aaunga pahad...
Doodh se malai chhuti, oon se salai chhuti
Tera bhi bawala chhuta... meri parchhai chhuti...
Diya kisne sab bigaad re...
Abke na aaunga pahad re
Eeja... abke na aaunga pahad re
Abke na aaunga pahad...

STAP-2
Gaderon mein khele jahan, geet harele jahan
Bushat pehan ke gaye, Dashere ke mele jahan
Ghaas pe bichha ke chadar, neembu saane baithte...
Dafan woh ped neeche, lakhon ke flat ke
Kaisi badnaseebi meri, jaan hai nikal gayi
Teri yeh JCB buransh ko kuchal gayi
Reh gaya jeevan ujaad re...
Abke na aaunga pahad...
Eeja... abke na aaunga pahad re
Abke na aaunga pahad...

STAP-3
Aipan lagate hue, haath jo phisal gaya
Socha na ki peeche se main, phir chaska ke gaya
Pahan ke pichhwada jab woh, thoda sharmaegi
Ghughuti jo gaaye baatein, meri hi sunaegi
Bain ki jo aayegi baraat main na hounga
Paper mein meri khabar do din baad aayegi
Ghar par mera naam dena pahad re...
Abke na aaunga pahad...
STAP-4
Dekh mere parvat, nadi mein pighal gaye
Lambi lambi car wale, pedon ko nigal gaye
Eeja teri baat Nanda Devi se jo hovegi
Use na batana woh yeh dekhkar ke rovegi
Sab ne pahad ki khai hai jhoothi kasmein
Inko Nanda Devi, kisi taal mein dubovegi
Giddh kar gaye cheer phaad re...
Eeja... abke na aaunga pahad re
Abke na aaunga pahad...

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.