Narendra Singh Negi Garhwali song lyrics : लयूँ छौ भाग छाँटी की

Narendra Singh Negi Garhwali song lyrics : लयूँ छौ भाग छाँटी की 

Layun chau bhag chanti ki Narendra Singh Negi Garhwali song


Song - लयूँ छौ भाग छाँटी की 
Singer - नरेंद्र सिंह नेगी 
Lable - T Series 

........


.........

STAP -1
लयूँ छौ भाग छाँटी की 
देयूं छौ वेकु अँज्वाळ्यून 
,सलाह बिराणी सगोर अपुडू
 नि खै जाणी, क्य कन्न तब... 2

 भगवान ने मुझे दोनों हाथों से अंजुली भर कर भाग्य छांट कर दिया है , उसने मुझे भाग्य बहुत अच्छा दिया है, लेकिन बाहरी लोगों की सलाह, और अपनी सूझ -बुझ समझदारी से किसी को परख नहीं पाया तो इसमें किसी का दोष नहीं है।

STAP -2
मन्नू औणान सैंत्या गोर
 पळ्याँ कुकुर गुर्राणा छिन
 जौंका बाना बिसरु हैंसुणू 
वी अपड़ा रुआँणा छिन
 निसाब अपुडू अफ्वी जब क्वी
 निकै जाणी क्य कन्न तब

वो बच्चे जिन्हें मैंने पाल पोष कर लायक बनाया, आज वो ही मुझ पर चिल्ला रहे है और मुझे मारने दौड़ रहे हैं, और जिनके लिए मैंने अपनी जिंदगी की हर एक छोटी - बड़ी ख़ुशी त्याग दी, आज वो ही मुझे रुला रहे हैं. अपने साथ जब मैं अच्छा कर ही नहीं पाया तो इसमें किसी का दोष नहीं है।

STAP -3
जु ल्होगी पैंछु यूंह्यू घाम 
रुड़ी आई लौटाणू 
चोरी चैन ज्वानिम् जैन 
बुढ़ेदाँ राई सौं खाणू 
निसाब अपुडू अफ्वी जब क्वी
निकै जाणी क्य कन्न तब

 जिसको मैंने अपनी सारी ख़ुशी उधार मे यह समझ कर दे दी की वो मेरे सुख - दुःख मे हमेशा मेरे साथ रहेगी,  लेकिन वो तो मझे सुख की जगह केवल दुःख ही दुःख लौटा रही है, जो मेरा जवानी मे मेरा सुख चैन छीन कर ले गई थी यह सोचकर की में हमेशा तुम्हारा साथ दूँगी, लेकिन अब उसका साथ केवल एक नाम मात्र का है.अपने साथ जब मैं अच्छा कर ही नहीं पाया तो इसमें किसी का दोष नहीं है।

STAP -4

भलै का बीज बूतीकी
 बुरै की फसल कटुणू छौं 
ल्वेई का आँसु घूटी की
 खुसी का पैणा बंटुणू छौं 
सलाह बिराणी सगोर अपुडू 
नि खै जाणी क्य कन्न तब।

वो दोस्त जिनका साथ मैंने हमेशा उन का हित में दिया, आज वो ही मेरे साथ परायों से भी बुरा सलूक कर रहे हैं।
खून के आँसू पिने के बावजूद भी मैं उनकी हमेशा प्रशंसा  करने पर लगा हूँ ,  लेकिन बाहरी लोगों की सलाह, और अपनी समझदारी से किसी की परख नहीं कर पाया तो इसमें किसी का दोष नहीं है।


STAP -5

हो जै बिरधी ऊँ बैयूँ की
 जु पीठिम् घौ लगै गैनी 
रयाँ राजी वो दगड्या भी 
जु मौळ्याँ घौ दुखै गैनी 
निसाब अपुडू अफ्वी जब क्वी
ननिकै जाणी  क्य कन्न तब।

जय जयकार होती रहे उन भारी लोगों की भी जो मुँह के आगे मेरे साथ होने की बात करते रहे और पीठ पीछे मेरी बुराइयाँ /खामियों को सब को बताते रहे, और खुश रहें वो मेरे जिगरी दोस्त भी जो पुरानी बातों को कुरेद कर हँसते रहे। अपने साथ जब मैं अच्छा कर ही नहीं पाया तो इसमें किसी का दोष नहीं है।




कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.